
तेलंगाना की राजनीति में आरक्षण को लेकर गर्मी बढ़ गई है और इस बार गर्मी है 42 डिग्री नहीं, 42% आरक्षण की! राज्य सरकार ने स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी को 42% आरक्षण देने का विधेयक पास कर दिया है, लेकिन… राष्ट्रपति भवन की चौखट पर मामला अटका पड़ा है।
BRS की कविता का ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ बयान
BRS की एमएलसी के कविता ने कांग्रेस और भाजपा—दोनों सरकारों की अच्छे से ‘क्लास’ ली। उन्होंने कहा, “राज्य सरकार कहती है कि गेंद केंद्र के पाले में है और केंद्र की भाजपा सरकार… मौन व्रत धारण किए हुए है।”
राजनीति की इस पिंग-पोंग में आखिर ओबीसी जनता की सर्विस कब आएगी?
कविता की भूख हड़ताल: ‘आरक्षण के लिए उपवास’
कविता ने ऐलान किया है कि वो 4, 5 और 6 अगस्त को 72 घंटे की भूख हड़ताल करेंगी, वो भी राजधानी हैदराबाद में। उनका कहना है कि जब तक आरक्षण पर कोई निर्णायक कार्रवाई नहीं होती, तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा।
साफ है कि कविता का ये उपवास अब राजनीतिक उपचुनाव से बड़ा ‘राजनीतिक उपवास’ बनता जा रहा है!
विधेयक, अध्यादेश और राष्ट्रपति की स्वीकृति: ‘पॉलिटिकल पासा’
विधानसभा और विधान परिषद में विधेयक तो पास हो चुका है, लेकिन केंद्र और राष्ट्रपति की मंजूरी के बिना स्थानीय निकायों में 42% आरक्षण सिर्फ फाइलों में ही रहेगा।
सवाल ये है कि क्या राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इस मांग को हरी झंडी दिखाएंगी या ये मुद्दा भी बाकी जुमलों की तरह सिर्फ वोट बैंक की गर्मी में पिघल कर बह जाएगा?

कांग्रेस vs भाजपा vs BRS: ‘आरक्षण’ की कुर्सी पर सियासी कुश्ती
-
कांग्रेस कहती है — हमने किया, अब केंद्र करे!
-
भाजपा कहती है — अभी रुकिए, समय आएगा!
-
BRS कहती है — सब मिलकर टाइम पास कर रहे हैं!
इस बीच ओबीसी मतदाता सोच रहे हैं — हमारा क्या? सिर्फ वोट डालने के लिए ही याद किया जाएगा क्या?
जिधर सोच भी नहीं सकते, उधर घुसे और धुआं कर दिया- लोस में पीएम मोदी